आज हमारे देश में हत्या, रेप, गैंगरेप और क्राइम ने सभी विकास की जगह अपना स्थान ले लिया है। हाथरस में हुए गैंगरेप ने पूरे देश को हिला कर रख दिया। नौकरशाह सबूतों को जुटाने की वजाह मिटाने में लगे हुए है। क्या यह वही भारत है जहाँ कहा जाता था हन्दू , मुस्लिम, सिक्ख , ईसाई आपस में सब भाई -भाई। मुझे आज वह पहले वाला भारत कदापि नहीं लगता। आज जाति पांति और भेदभाव इतनी तेजी से फैलाया जा रहा है जिससे हमारे देश की नीव तक हिल गई है।
आज मेरा मन पूरी तरह से कुंठित हो गया। मैं बेटियों और बहनों के बारे में सोच कर इतना दुखी हूं जिसकी कल्पना करना मुश्किल है। जिस देश में बेटियों की सुरक्षा ना हो सके उस देश को, उस देश के शासकों को, उस देश पर शासन करने का कोई अधिकार नहीं है। आज पूरे देश में महिलाओं पर बहुत ही तेजी से शोषण किया जा रहा लेकिन सरकारें अपना कान बंद करके बैठे हुई हैं। केंद्र की मोदी सरकार ने सत्ता में आने से पहले ही एक नारा दिया था “बहुत हुआ महिलाओं पर बार-अबकी बार मोदी सरकार” लेकिन उस समय और इस समय लगभग 6 साल और 9 महीने के गैप के बीच हमारे देश में जो हो रहा है। उसको सोच कर ही दिल काँप उठता है।
हाथरस में मनीषा नाम की लड़की के साथ गैंगरेप किया गया और उसके बाद उसकी मौत हो गई। पूरे देश में यह मामला तेजी से उठा और इस मामले को तूल पकड़ते देखते प्रदेश की योगी सरकार को कई फैसले लेने पड़े। अब जब उस लड़की की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई तो उसमें बताया गया कि उस लड़की के साथ किसी तरह का रेप नहीं हुआ। अब कुछ सवाल है जो मुझे पूरी तरह से अंदर ही अंदर झकझोर रहे। मैं समाज के उन ठेकेदारों से पूछना चाहता हूं कि जब निर्भया कांड हुआ था तो देश का बच्चा-बच्चा निर्भया को इंसाफ दिलाने के लिए सड़कों पर आ गया था।
एक तरफ सरकार जातीय दंगों की बात करती है। दूसरी तरफ यह स्पष्ट रूप से दिखाई देता है कि जब निर्भया के मामले में पूरा देश न्याय की गुहार लगा रहा था। तब अब मनीषा के मामले में पूरे देश को क्या हो गया ? क्या अब एक लड़की के साथ हुए अन्याय के लिए इंसाफ नहीं चाहिए ? मैं यह कहना चाहूंगा कि किसी निर्दोष को सजा ना मिले लेकिन दोषी को बचना भी नहीं चाहिए। उसे फांसी की सजा मिलनी चाहिए। अगर गिरफ्तार किए गए लड़के निर्दोष हैं तो जांच में स्पष्ट रूप से साफ हो जाएगा कि वह बेगुनाह और उन्हें छोड़ दिया जाएगा। तब पूरे सवर्ण वर्ग के लोग क्यों नहीं इस चीज को समझते। क्यों नहीं हुए इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठाते ? न्याय करना न्यायपालिका का काम है जो सच होगा वह खुद सामने आ जाएगा।
क्या लोगों को न्यायपालिका पर विश्वास नहीं है जो अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने के बजाय इधर-उधर कई तरीके के हथकंडे आजमाने में जुटे हुए हैं। अगर निर्दोष हैं तो निर्दोषों को न्यायपालिका सजा कैसे दे सकती है। सजा देने से पहले कई तरह की जांच और कई तरह के पहलुओं से गुजरने के बाद सजा तय की जाती है। किसी को डायरेक्ट सजा देने का प्रावधान नहीं है।
अब मैं बात करूंगा जो मेडिकल रिपोर्ट आई है। उस पर कहना चाहूंगा की कितनी शर्म की बात है। क्या किसी रेप विक्टिम के रेप होने के 8 दिन बाद सीमेन ट्रेसेस मिल जाएंगे। इस बात को डॉक्टर बखूबी जानते हैं। जब उस लड़की का गैंगरेप किया गया तो तत्काल मेडिकल क्यों नहीं कराया गया। आज रात में उस लड़की को जमाने को कानून व्यवस्था बिगड़ने और जातीय दंगे भड़कने का बहाना बताया जा रहा है। उस समय वह कहां थे जिस समय वह लड़की तड़प रही थी और अकेले उसे हाथरस से अलीगढ़ अस्पताल भेज दिया गया। तब कानून व्यवस्था कहां थी।
क्या उसके साथ किसी को नहीं जाना चाहिए था ? अगर समय रहते उस बेटी को सही इलाज मिल जाता तो शायद वह लड़की बच जाती। उस समय कानून क्या कर रही थी। एक भी पुलिसकर्मी उस परिवार के साथ नहीं गया। जबकि उस समय उसकी जान के लिए सबसे ज्यादा खतरा था। तब कानून व्यवस्था कहां थी। रात में शव को जलाना हिंदू धर्म के पूरी तरह से खिलाफ है। लेकिन इसके बावजूद भी उस मासूम लड़की को उसके परिवार के खिलाफ जबरदस्ती रात को उसके सब को जला दिया जाता है। यह कहां की न्याय व्यवस्था है। किस संविधान में लिखा है किसी व्यक्ति का परिवार का कोई सदस्य सामने ना हो और उसकी मृत शरीर को रात में जला दिया जाए।
इस तरह के केसों में जहां तक मैंने सुना है। उन्हें जमीन में दफन किया जाता है ताकि अगर दोबारा जरूरत पड़े तो पुनः शव की जांच की जा सके। पुलिस ने पूरी तरह से मनीषा केस में शव को जलाकर सबूत मिटाए हैं। जब पुलिस ही पूरी तरह से दोषियों के साथ है। हाथरस में सरकार द्वारा खुद जात पात फैलाया जा रहा है। वहां पंचायतें धारा 144 लागू होने के बाद भी लगाई जा रहीं हैं लेकिन उनके खिलाफ कोई किसी तरह की कार्यवाही नहीं की जा रही है। इसी जगह पर अगर कोई व्यक्ति पीड़िता के परिवार से मिलने उसके दुख दर्द को बांटने के लिए पहुंचता है तो उसके ऊपर मुकदमा लगाया जा रहा है। यह कहां का न्याय है।
योगी सरकार अगर मां बहनों की सुरक्षा नहीं कर सकती तो उसे तत्काल इस्तीफा देना चाहिए। क्योंकि सिर्फ माता सीता को जब रावण हरण कर ले जाता है तो उसकी पूरी लंका को जला दिया जाता है। राम को मानने वाले योगी जी क्या इस बात को नहीं जानते। जब एक स्त्री के खातिर लंका जलाई जा सकती है तो आज जिस लड़की के साथ ऐसा दुष्कर्म हुआ है उसके दोषियों को निष्पक्ष रुप से सजा क्यों नहीं दी जा सकती है।
आज पीड़ित परिवार पूरी तरह से डरा हुआ है। उसको डराया धमकाया जा रहा है जबकि जिन लोगों ने हैवानियत की है उनको मिलने के लिए सांसद और विधायक जेल तक जा रहे हैं। मैं आशा करूंगा केंद्र की मोदी सरकार से और प्रदेश की योगी सरकार से की मनीषा केस की निष्पक्ष जांच हो और दोषियों को फांसी की सजा दी जाए। अगर ऐसा नहीं किया जाता तो समाज भाजपा सरकार को ही नहीं उनको भी नष्ट कर देगी जो अन्याय का साथ दे रहे हैं।
अमरमणि त्रिपाठी
साकेत नगर, नई दिल्ली
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